मेरा परम सौभाग्य है कि में जीवन के अंतिम क्षणों में अपने जीवन के सुखद क्षणों को याद कर रही हूँ। मारवाड़ी बालिका विद्यालय ही मेरे जीवन का अस्तित्व है। 78 वर्ष की आयु में 40 साल से अधिक जिसकी सेवा की वही मेरे जीवन का केन्द्र विन्दु है। 1963 के जुलाई महीने में, मैं कलकत्ते आई। वी एच यू से संस्कृत स्नातक और गोरखपुर विश्वविद्यालय से बी एड थी। कलकत्ते में नौकरी करना और वही रहना मैंने सपने में भी नहीं सोचा था पर किस्मत मुझे यहाँ ले आई। मेरे गाँव के एक सज्जन थे जो हिन्दी हाई स्कूल के प्रधानाचार्य थे। वो मेरी पढाई लिखाई के बारे जानते थे। उन्होंने ही मुझे प्रेरित किया पढ़ाने के लिए। उन्होंने ही बतलाया कि मारवाड़ी बालिका विद्यालय नामक एक विद्यालय में संस्कृत का एक स्थान रिक्त है। उनके कहने पर मैं विद्यालय गई। 13 अगस्त 1963 को श्री जगन्नाथ बेरीवाल जी के मंत्रीत्व में संस्कृत की सह शिक्षिका के तौर पर कार्य आरम्भ किया और नवम्बर 2003 तक कार्यरत रही। इसके पश्चात भी पांच वर्ष आंशिक तौर पर जुड़ी रही। विद्यालय का समुचित विकास हो, इसके लिए सदैव प्रयत्नशील रही। विद्यालय अनंत काल तक प्रतिष्ठित रहे। इसकी प्रतिष्ठा चारो ओर फैले। यही शुभकामना है।
माया श्रीवास्तव
पूर्व शिक्षिका
मारवाड़ी बालिका विद्यालय