वो बारिश का पानी
एक बार लाइफ में कुछ रिवाइंड करने का मौका मिले तो वो स्कूल के दिन मिल जाएँ। फ्रेंड्स के साथ घंटों बातें करना जहाँ पैसों की कोई अहमियत नहीं होती। एक लक्ष्य जरूर था कि अपनी फेवरेट टीचर की नजरों में बेस्ट स्टूडेंट बनी रहें। उस वक्त टीचर ही नहीं सीनियर स्टूडेंट भी रोल मॉडल होती थीं। उनकी एक स्माइल अवार्ड से कम नहीं थी। स्कूल का लंच टाइम तो बहुत ही मेमोरेबल था। पूड़ी-सब्जी में मिली अचार की सुगंध तो इतनी अलग थी कि आज की हर पकवान उसके सामने फीकी है। लंच तो लंच टाइम के पहले ही खत्म हो जाता और फिर उस समय खेलना, कूदना दूसरे के टिफिन में झाँकना अगर किसी का टिफिन पसंद आ जाए तो बाटर सिस्टम भी करना। जो सब्जेक्ट मन लायक नहीं होता उस पीरियड में तो बाथरूम जाना मस्ट था और फिर जाने-आने में दस मिनट तो लग ही जाते थे। वैसे मैं वन ऑफ दी बेस्ट स्टूडेंट थी पर मस्ती में भी कमी न थी। फर्स्ट अप्रैल को दिल खोल कर एक दूसरे को बेवकूफ बनाते और बनते। स्पोर्ट्स डे, ऐनुअल डे बहुत स्पेशल थे। ऐनुअल डे के प्लेज में जरूर पार्ट लेती थी चाहे रोल बड़ा हो या छोटा। और बैंक स्टेज की गॉसिप्स ! माँ, बाबूजी भी प्रोग्राम देखने आते थे और एक उत्सव सा माहौल बन जाता। गर्मियों की छुट्टी में ढेर सारा होमवर्क पर खेलते-कूदते नानीघर और दादीघर के बीच सब कुछ हो जाता था क्योंकि शायद उस समय वो जादुई कम्प्यूटर नहीं था। एक अलग दुनिया, एक खूबसूरत जहाँ, वो स्कूल का रास्ता जहाँ आँखें बंद कर के भी चलूँ तो पहुँच जाऊँगी। स्कूल के बाहर की टिकिया, मूड़ी और पुचका स्कूल खत्म होने के बाद सब सपनों में आना शुरू हो गए। स्कूल के पहले दिन रोई या नहीं पता नहीं पर स्कूल का लास्ट डे विदाई से कम नहीं था। हम सब का दूसरा घर था।
Sangam Tekriwal (Sanghai)
Batch of 1978
शिक्षायतन स्कूल की महिमा अपरंपार, अनोखे ज्ञान का मंदिर, एक विशाल स्तंभ। नई राह, नई दृष्टि का संचालक, विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने का संस्थापक । सन २०२१, श्री शिक्षायतन स्कूल के साँवे वर्षगाँठ का उत्सव, मन में खुशी हर्ष अपार है। ४० वर्ष पुराने विद्यार्थियों को, लिखने के लिए आमंत्रित किया। हम अपने आप में भाग्यशाली हैं। याद है हमें स्कूल की शिक्षिकाओं का सहयोग, प्रधानाध्यापिका मिसेज रॉय का अनुशासन, सुषमा मिस के अंग्रेजी अनुवाद, असीमा नाथ मिस का गणित शास्त्र, सुधा पाल मिस की हिंदी शब्दावली, प्रेम संथालिया मिस की संस्कृत परिभाषा। क्या अच्छे थे वे स्कूल के दिन नहीं भुला पाएँगे स्कूल की प्रभात प्रार्थना, बड़े हॉल में 'वर दे वीणावादिनी ......'. की गूंज। स्कूल के वार्षिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान, खेलकूद प्रतियोगिता, वसंत पंचमी, रवींद्र जयंती, शिक्षक दिवस, बाल दिवस, पिकनिक को उत्साहपूर्वक मनाना । नहीं भुला पाएँगे खुले वातावरण में पढ़ना, सहपाठियों के साथ टिफिन करना, कैंटीन जाना, गपशप लगाना, मैदान में खेलकूद करना, आँख मिचौली, रुमाल चोर खेलना। स्वीमिंग पूल तो स्कूल की विशेष शान है। सचमुच नेत्रों से प्रेम की अश्रु धारा वह रही है, नहीं भुला पाएँगे ..... नहीं भूला पाएँगे वे स्कूल के दिन !!!!! श्री शिक्षायतन स्कूल के सौंवे वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में हार्दिक अभिनंदन.... ढेर सारी शुभ-कामनाएँ !!
छात्रा, वंदना
भूतोडिया
कक्षा-दशम (1989 Batch)